NPS vs रिटायरमेंट फंड: कौन सा बेहतर?

NPS vs रिटायरमेंट फंड: कौन सा बेहतर?

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और रिटायरमेंट फंड्स दोनों ही लंबी अवधि के लिए निवेश के लोकप्रिय विकल्प हैं। दोनों योजनाएं निवेशकों को रिटायरमेंट के बाद नियमित आय अर्जित करने में मदद करती हैं। हालांकि, इन दोनों योजनाओं में कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं, जिन पर निवेशकों को विचार करना चाहिए।

एसेट अलोकेशन

NPS एक एसेट अलोकेशन बेस्ड अप्रोच फोलो करता है। यह निवेशकों को दो इन्वेस्टिंग मोड्स- एक्टिव और ऑटो का विकल्प प्रदान करता है। एक्टिव विकल्प के तहत आप खुद अपना एसेट अलोकेशन कर सकते हैं। इसमें आप इक्विटी, कॉरपोरेट बॉन्डस और गवर्नमेंट बॉन्ड में कितना-कितना निवेश करना है, यह चुन सकते हैं। वहीं, ऑटो मोड में लाइफसाइकल फंड्स चुन सकते हैं। यहां आपका एसेट मिक्स ऑटोमेटिक बदलता रहता है। अलग-अलग जोखिम क्षमता वाले निवेशकों के अनुसार 3 लाइफसाइकल फंड्स एग्रेसिव, मॉडरेट और कंजरवेटिव होते हैं।

रिटायरमेंट फंड्स में निवेशकों को एक निश्चित एसेट अलोकेशन के साथ फंड चुनना होता है। उदाहरण के लिए, एक इक्विटी-ओरिएंटेड रिटायरमेंट फंड में कम से कम 65% इक्विटी में निवेश होना चाहिए। इसी तरह, एक हाइब्रिड रिटायरमेंट फंड में इक्विटी और डेट के बीच निवेश का विभाजन 40-60 हो सकता है।

निकासी और लिक्विडिटी

NPS में, निवेशक पांच साल बाद आंशिक निकासी कर सकते हैं और 60 साल बाद एकमुश्त निकासी कर सकते हैं। आंशिक निकासी के लिए निवेशकों को अपने योगदान का 25% तक निकालने की अनुमति है। यदि निवेशक ने 25 साल की सेवा पूरी कर ली है तो वह 50% तक निकाल सकता है। निवेशक अपने पूरे कार्यकाल के दौरान अधिकतम तीन बार तक आंशिक रूप से निकासी कर सकते हैं। पांच साल पूरे होने के बाद वह एकमुश्त राशि के रूप में कॉर्पस का अधिकतम 20% निकाल सकता है।

ये भी पढ़ें:  सिर्फ 100 रुपये से करोड़पति बनना संभव है। जानिए कैसे?

रिटायरमेंट फंड्स में, निवेशकों को पांच साल की लॉक-इन अवधि के बाद पूर्ण निकासी की अनुमति है। हालांकि, निवेशक अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप कैश फ्लो प्राप्त करने के लिए रिटायरमेंट के समय एक व्यवस्थित निकासी योजना (SWP) स्थापित कर सकते हैं।

टैक्स लाभ

NPS में योगदान पर धारा 80C, 80CCD (1) और 80CCD (2) के तहत छूट मिलती है। 80C के तहत छूट की कुल सीमा 1.5 लाख रुपये है। 80CCD (1) के तहत अतिरिक्त 50,000 रुपये की छूट मिलती है, जबकि 80CCD (2) के तहत अतिरिक्त 1.5 लाख रुपये की छूट मिलती है। हालांकि, 80CCD (2) की छूट केवल नियोक्ता के योगदान पर ही उपलब्ध है।

निकासी के दौरान, NPS कॉर्पस का 60% तक टैक्स फ्री है। शेष 40% राशि पर टैक्स स्लैब रेट के अनुसार कर लगेगा।

ये भी पढ़ें:  बैंक ऑफ बड़ौदा ने एफडी पर बढ़ाईं ब्याज दरें, अब मिलेगा इतना रिटर्न!

रिटायरमेंट फंड्स में योगदान पर केवल धारा 80C के तहत छूट मिलती है। निकासी के दौरान, रिटायरमेंट फंड्स से अर्जित आय पर टैक्स स्लैब रेट के अनुसार कर लगेगा।

लागत

NPS में फंड मैनेजमेंट एक्सपेंस रेश्यो (FER) केवल 0.09% है, जो इसे एक अत्यधिक कोस्ट इफेक्टिव विकल्प बनाता है। दूसरी ओर, रिटायरमेंट फंड्स में FER 2.25% तक हो सकता है।

NPS और रिटायरमेंट फंड्स के बीच अन्य अंतर

  • पेंशन विकल्प: NPS में निवेशकों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन प्राप्त करने का विकल्प मिलता है। पेंशन एक निश्चित राशि हो सकती है या यह निवेशक के कॉर्पस का एक प्रतिशत हो सकता है। रिटायरमेंट फंड्स में पेंशन विकल्प उपलब्ध नहीं है।
  • फंड प्रबंधन: NPS में, निवेशक विभिन्न फंड मैनेजरों के बीच चयन कर सकते हैं। यह निवेशकों को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले फंड मैनेजर के साथ निवेश करने का मौका देता है। रिटायरमेंट फंड्स में, निवेशक केवल एक ही फंड मैनेजर के साथ निवेश कर सकते हैं।
  • स्विचिंग: NPS में, निवेशक एसेट क्लास और फंड मैनेजरों के बीच बिना किसी लागत के स्विच कर सकते हैं। रिटायरमेंट फंड्स में, निवेशक को स्विचिंग के लिए स्विचिंग चार्ज देना पड़ता है।
ये भी पढ़ें:  सोना खरीदने का सुनहरा मौका! जानिए कैसे?

कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर है?

NPS और रिटायरमेंट फंड्स दोनों ही बेहतरीन निवेश विकल्प हैं। हालांकि, उनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं, जिन पर निवेशकों को विचार करना चाहिए। अपने वित्तीय लक्ष्यों, जोखिम क्षमता और निवेश अवधि के आधार पर सही विकल्प चुनना महत्वपूर्ण है।

यदि आप लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं, बेहतर टैक्स लाभ चाहते हैं और कम लागत चाहते हैं, तो NPS एक बेहतर विकल्प है। यदि आपको जल्दी निकासी की आवश्यकता है या आप एक निश्चित एसेट अलोकेशन के साथ फंड में निवेश करना चाहते हैं, तो रिटायरमेंट फंड्स एक बेहतर विकल्प हो सकते हैं।

यहां एक टेबल दी गई है जो आपको सही विकल्प चुनने में मदद कर सकती है:

विशेषताNPSरिटायरमेंट फंड्स
एसेट अलोकेशननिवेशक अपनी पसंद के अनुसार एसेट क्लास में निवेश कर सकते हैं।निवेशकों को एक निश्चित एसेट अलोकेशन के साथ फंड चुनना होता है।
निकासी और लिक्विडिटीपांच साल बाद आंशिक निकासी और 60 साल बाद एकमुश्त निकासी।पांच साल की लॉक-इन अवधि के बाद पूर्ण निकासी।
टैक्स लाभयोगदान पर धारा 80C, 80CCD (1) और 80CCD (2) के तहत छूट। निकासी पर 60% तक टैक्स फ्री।योगदान पर धारा 80C के तहत छूट। निकासी पर टैक्स स्लैब रेट के अनुसार कर।
लागत0.09% का कम फंड मैनेजमेंट एक्सपेंस रेश्यो।2.25% तक का उच्च फंड मैनेजमेंट एक्सपेंस रेश्यो।
पेंशन विकल्पउपलब्धउपलब्ध नहीं
फंड प्रबंधननिवेशक विभिन्न फंड मैनेजरों के बीच चयन कर सकते हैं।निवेशक केवल एक ही फंड मैनेजर के साथ निवेश कर सकते हैं।
स्विचिंगबिना किसी लागत के स्विचिंग।स्विचिंग के लिए स्विचिंग चार्ज देना पड़ता है।
उपयुक्त निवेशकलंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं, बेहतर टैक्स लाभ चाहते हैं और कम लागत चाहते हैं।जल्दी निकासी की आवश्यकता है या एक निश्चित एसेट अलोकेशन के साथ फंड में निवेश करना चाहते हैं।

निष्कर्ष

NPS और रिटायरमेंट फंड्स दोनों ही बेहतरीन निवेश विकल्प हैं। हालांकि, उनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं, जिन पर निवेशकों को विचार करना चाहिए। अपने वित्तीय लक्ष्यों, जोखिम क्षमता और निवेश अवधि के आधार पर सही विकल्प चुनना महत्वपूर्ण है।

यदि आप अभी भी उलझन में हैं, तो किसी वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें। वह आपकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को समझेंगे और आपको सही निवेश विकल्प चुनने में मदद करेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *